5 Easy Facts About Shodashi Described
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The working day is noticed with wonderful reverence, as followers pay a visit to temples, supply prayers, and participate in communal worship events like darshans and jagratas.
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
When Lord Shiva listened to in regards to the demise of his wife, he couldn’t Regulate his anger, and he beheaded Sati’s father. Nevertheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s life and bestowed him using a goat’s head.
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
हव्यैः कव्यैश्च सर्वैः श्रुतिचयविहितैः कर्मभिः कर्मशीला
For all those nearing the head of spiritual realization, the ultimate phase is described as a condition of entire unity with Shiva. Right here, unique consciousness dissolves into the universal, transcending all dualities and distinctions, marking the culmination in the spiritual odyssey.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
The globe, like a manifestation of Shiva's consciousness, holds the key to liberation when just one realizes this elementary unity.
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में get more info कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।